शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

लम्हों में गुजरता वक्त

कौन कहता कि सब किस्मत का खेल है
कभी ख़्वाब देखने की हिमाकत  तो करो |

वक्त है सारी दुनिया के लिये तुम्हारे पास
कभी खुद पर भी नजरें इनायत तो करो |

क्या बात है , जो  नाउम्मीद हुये बैठे हो
चराग उम्मीदों का , आज रोशन तो करो |

क्या हुआ ग़र आज मुफलिसी का दौर है
खुशहाली भी आएगी, जी-तोड़ के मेहनत तो करो |

ग़र रोक नहीं सकते तुम जाने वाले को
आने वालों का फिर आगे बढ़ स्वागत तो करो |

वक्त सालों में नहीं , लम्हों में गुजरता  है
अपने हर लम्हे की कद्र और इज्जत तो करो |

माज़ी में जीना छोड़ दो , हासिल कुछ नहीं होगा
मौजूदा हाल में जीने की , हिम्मत तो करो |

तुम्हारी हर एक साँस पर कर्ज है वतन का
मादरे - वतन से अपने , मुहब्बत तो करो |

6 टिप्‍पणियां:

Smart Indian ने कहा…

बहुत सुन्दर और प्रेरणादायक सन्देश!

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

तुम्हारी हर एक साँस पर कर्ज है वतन का
मादरे - वतन से अपने , मुहब्बत तो करो |

वाह क्या बात है !

Unknown ने कहा…

आपको मेरी तरफ से नवरात्री की ढेरों शुभकामनाएं.. माता सबों को खुश और आबाद रखे..
जय माता दी..

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

क्या बात है
बहुत सुंदर

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

क्या बात है
बहुत सुंदर

मनमोहन कृष्ण ने कहा…

बहुत बढियाँ लिखा हैं अवनीश ...............जरुर ये अंदर का भाव हैं