सोमवार, 6 फ़रवरी 2012

मील के पत्थर

ना तो मैं हताश हूँ, ना ही मैं निराश हूँ|
पर अपनी कमरफ्तारी पर, थोड़ा सा उदास हूँ||

कुछ कमी है रौशनी की अभी, रास्ते भी कुछ धुंधले से हैं|
कभी दूर हूँ मैं रास्ते से, तो कभी रास्ते के पास हूँ ||

कर रहा है प्रश्न निरंतर, ये विचारों का अस्पष्ट प्रवाह|
किसी की तलाश में हूँ मैं, या खुद किसी की तलाश हूँ ||

गतिमान है प्रबल संघर्ष, कामनाओं के ज्वार-भाटे से|
इच्छाओं पर अंकुश है मेरा, या कामनाओं का दास हूँ||

चेहरा तो एक ही है मेरा, इन्सान बहुत से हैं अंदर|
कभी कृष्ण की मुरली हूँ, कभी कंस का अट्टहास हूँ||

यूँ तो आम आदमी हूँ, इक आम जिन्दगी जीने वाला|
पर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनके लिये मैं खास हूँ||

माना कि कदम धीमे हैं, पर सफर अभी जारी है|
इसमें कोई आश्चर्य नहीं, कि मील के पत्थर तलाश लूँ||

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