बुधवार, 20 मार्च 2013

खूबसूरत फूल

खूबसूरत फूल

वो पौध, जो लगायी थी तुमने,
पौध प्रेम की, पौध समर्पण की,
वो पौध अब बड़ी हो रही है

ख्वाहिशों की कोपल अब वृक्ष बन चुकी है,
फ़ैल चुकी हैं उसकी शाखाएं,
जिनसे लटकते हैं कच्चे ख्वाब
उड़ते है पंछी जिनपे तुम्हारे नाम के|

जड़ें इसकी मेरे अंतस में धंसी हैं,
सींचता हूँ जिन्हें मैं अपनी चाहत से
इसके पत्ते भी कितने हसीन हैं,
जैसे हर पत्ते पर तुम्हारा नाम लिखा है|

अब तो इस पर फूल भी आ गए,
फूल, मुहब्बत के फूल
हर फूल बुलाता है मुझे,
तुम्हारी परछाईं दिखाता है मुझे

और मैं हर फूल में सिर्फ तुम्हे ढूंढता हूँ
क्यूंकि तुम ही तो हो
मेरा सबसे कीमती फूल,
सबसे मोहक पुष्प,
सबसे खूबसूरत फूल

1 टिप्पणी:

हितेन्द्र अनंत ने कहा…

वाह! निस्संदेह हृदय के सच्चे उद्गार हैं।

अब यहाँ आना लगा रहेगा।