शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

चंद्रशेखर आज़ाद की बहन

बात उन दिनों की है जब क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद स्वतंत्रता के लिए संघर्षरत थे और फिरंगी उनके पीछे लगे थे।


फिरंगियों से  बचने के लिए शरण लेने हेतु आजाद एक  तूफानी रात को एक घर में जा पहुंचे जहां  एक विधवा अपनी बेटी के साथ रहती थी। हट्टे-कट्टे आजाद को डाकू समझ कर पहले तो वृद्धा ने शरण देने से इनकार कर दिया लेकिन जब आज़ाद ने अपना परिचय दिया तो उसने उन्हें ससम्मान अपने घर में शरण दे दी। बातचीत से आज़ाद को आभास हुआ कि गरीबी के कारण विधवा की बेटी की शादी में कठिनाई आ रही है। आजाद ने महिला को कहा, 'मेरे सिर पर पांच हजार रुपए का इनाम है, आप फिरंगियों को मेरी सूचना देकर मेरी गिरफ़्तारी पर पांच हजार रुपए का इनाम पा सकती हैं जिससे आप अपनी बेटी का विवाह सम्पन्न करवा सकती हैं।


यह सुन विधवा रो पड़ी व कहा- “भैया! तुम देश की आजादी हेतु अपनी जान हथेली पर रखे घूमते हो और न जाने कितनी बहू-बेटियों की इज्जत तुम्हारे भरोसे है। मैं ऐसा हरगिज नहीं कर सकती।” यह कहते हुए उसने एक रक्षा-सूत्र आज़ाद के हाथों में बाँध कर देश-सेवा का वचन लिया। सुबह जब विधवा की आँखें खुली तो आजाद जा चुके थे और तकिए के नीचे 5000 रूपये पड़े थे। उसके साथ एक पर्ची पर लिखा था- “अपनी प्यारी बहन हेतु एक छोटी सी भेंट- आज़ाद।”

6 टिप्‍पणियां:

SAJAN.AAWARA ने कहा…

Aajadi par mar mitne walon ki kahani kuch esi hi hai.....
Jai hind jai bharatAajadi par mar mitne walon ki kahani kuch esi hi hai.....
Jai hind jai bharat

बेनामी ने कहा…

hume ek aur azad ki jarurat hai. gandhi to mila gya ANNA ki shkal me ab hum me se hi kisi ko azad aur bhgat singh ban na hoga. jai hind!!!!

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

Aditi Poonam ने कहा…

कहाँ गए वे लोग ......आदर्श्विहीन परिदृश्य ..

Aditi Poonam ने कहा…

कहाँ गए वे लोग ......आदर्श्विहीन परिदृश्य ..

Aditi Poonam ने कहा…

एक आदर्श विहीन सामाजिक परिदृश्य...
कहाँ गए वे लोग ......