शुक्रवार, 21 जून 2013

कईसे भाई के सनेहिया बाटल जाई विरना


ये भोजपुरी का एक प्रसिद्ध गीत है| गीत लिखा है तारकेश्वर मिश्रा ने और उसको आवाज दी है रविन्दर कुमार राजू ने |गीत बहुत ही मार्मिक और हृदयस्पर्शी है| प्रसंग कुछ यूं है : तीन भाई हैं, बड़ा भाई खेती करता है, मँझला शहर में नौकरी करता है और छोटा भाई अभी पढ़ रहा है| मँझला भाई छुट्टी में घर आया हुआ है और आते ही उसके कान भरे जाते हैं कि आप तो बाहर कमा रहे हो और बाकी लोग घर पर मजे मार रहे हैं| छोटा भाई खेत पर पहुँचता है और बड़े भाई से कहता है अब तक जो हुआ सो हुआ, अब हमें अलग हो जाना चाहिये| उसका हठ देखकर बड़े भाई को बड़ा कष्ट होता है और वो छोटे भाई को समझाता है कि धन दौलत, खेत खलिहान सब बाँट लोगे पर क्या हमारा स्नेह भी बँट पायेगा| ये पूरा गीत बड़े भाई का छोटे भाई से अलग न होने का निवेदन है|

इस गीत को यहाँ से सुना जा सकता है  :

http://www.saavn.com/s/#!/p/song/bhojpuri/Ae+Balam+Ji/Khet+Bari+Bat+Jayi/OCknfhcCeF4
 
आपसे अनुरोध है कि पहले पूरा गीत भोजपुरी में ही पढ़ें, उसके बाद ही अनुवाद पढ़ें|

आदमी के सतावला से का फायेदा
दिल प पत्थर चलवला से का फायेदा
नेह अंगना गेडाईल बटाईल हिया
त भीती अईसन उठवला से का फायेदा
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खेत बारी बट जाई
अरे अंगना दुवारवा , पाई पाई विरना
हो कईसे भाई के सनेहिया बाटल जाई विरना
कईसे भाई के सनेहिया बाटल जाई विरना

एके रहल बाप एके रहली महतारी
तीन गो फुलईले फुल एके फुलवारी
अबही गवाह बाटे पढे वाला झोरा
चन्दा मामा औरी दुध भात के कटोरा
गंवुवा के लोग आ के बखरा लगाई , फरिआई विरना
हो बोला बांटी के हमार परछाई विरना
हो बोला बांटी के हमार परछाई विरना

हमरा के चाही ना कमाई के रुपईया
बाबु कहब केकरा कहबs तु भईया
राम आ भरत के मिलाप जब होई
कसकी करेजा मन मने मन रोई
पीछे पीछे लोग सब इहे बतियाई , गरियाई विरना
हो गईले बाबु के बेटउवा अलगाई विरना
हो गईले बाबु के बेटउवा अलगाई विरना

तोहरा घरे पुडी पकवान जईहा पाकी
कोना जाके बचवा हमार कवनो झांकी
आके अपना दुख के कहानी जब बांची
हमरा के कुछु नाही दिहली हो चाची
ओने पकवान एने लईकन के रोवाई , ना सहाई विरना
हो तोहरा पुआ पकवान ना घोटाई विरना
हो तोहरा पुआ पकवान ना घोटाई विरना

हमरा तोहरा बेटी के बरात जईहा आई
तु देबs स्कुटर हमरा कुछु ना दियाई
बेटी तोहार जईहे जीप चाहे कार से
बेटी हमार पैदल चाहे डोलिया कहार से
एगो आंख हसी एगो आंसु बरसाई , ना सहाई विरना
हो तहिया कईसन लागी बेटी के विदाई विरना
हो तहिया कईसन लागी बेटी के विदाई विरना

सोच तनी हमरा के का कही जमाना
हसी हसी चुन्नु पाण्डेय मारे लगिहे ताना
चार दिन के संग बा मचावs जनि तबाही
दुनिया हो राग रविन्दर लोग हवन राही
फेरु नाही आई केहु देखे ई कमाई , हउवे काई विरना
हो कईसे माई के अंचरवा बाटल जाई विरना
हो कईसे माई के अंचरवा बाटल जाई विरना
खेत बारी बट जाई
अरे अंगना दुवारवा , पाई पाई विरना
हो कईसे भाई के सनेहिया बाटल जाई विरना


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अनुवाद सहित गीत ::
आदमी के सतावला से का फायेदा
दिल प पत्थर चलवला से का फायेदा
नेह अंगना गेडाईल बटाईल हिया
त भीती अईसन उठवला से का फायेदा-
[आदमी को सताने से क्या फायदा,
दिल पर पत्थर चलाने से क्या फायदा
आँगन का स्नेह बंट जा रहा है
तो ऐसी दीवार उठाने से क्या फायदा]

खेत बारी बट जाई
अरे अंगना दुवारवा , पाई पाई विरना
हो कईसे भाई के सनेहिया बाटल जाई विरना
कईसे भाई के सनेहिया बाटल जाई विरना
[खेत-बाड़ी बंट जायेगा
अरे आँगन द्वार भी, पाई पाई बंट जायेगा हे प्रिय भाई (विरना स्नेह का सम्बोधन है),
पर भाई का स्नेह कैसे बाँटा जायेगा प्रिय भाई ]


एके रहल बाप एके रहली महतारी
तीन गो फुलईले फुल एके फुलवारी
अबही गवाह बाटे पढे वाला झोरा
चन्दा मामा औरी दुध भात के कटोरा
गंवुवा के लोग आ के बखरा लगाई , फरिआई विरना
हो बोला बांटी के हमार परछाई विरना
हो बोला बांटी के हमार परछाई विरना
[एक ही पिता हैं हमारे, एक ही माँ
एक ही फुलवारी में तीन फूल खिले थे
आज भी गवाह है वो पढ़ने ले जाने वाला झोला,
वो चंदा मामा और वो दूध भात का कटोरा|
गाँव के लोग आयेंगे, हिस्सा लगायेंगे, सब बाँटेंगे
पर बताओ कि मेरी परछाईं (जो तुम हो) मुझसे कौन बांटेगा मेरे प्रिय भाई ]

हमरा के चाही ना कमाई के रुपईया
बाबु कहब केकरा कहबs तु भईया
राम आ भरत के मिलाप जब होई
कसकी करेजा मन मने मन रोई
पीछे पीछे लोग सब इहे बतियाई , गरियाई विरना
हो गईले बाबु के बेटउवा अलगाई विरना
हो गईले बाबु के बेटउवा अलगाई विरना
[मुझको कमाई के रुपये नहीं चाहिये,
मैं बाबू किसको कहूँगा, तुम भैया किसको कहोगे
जब राम और भरत की तरह हमारा मिलाप होगा (जैसे वो वन जाने से पहले मिले थे)
कलेजे में कसक उठेगी, मन अंदर ही अंदर रोयेगा|
ये सारे लोग हमारे पीछे हमारी हँसी उड़ायेंगे और गालियाँ देंगे
कहेंगे कि एक ही बाप के बेटे अलग हो गए हैं ]

तोहरा घरे पुडी पकवान जईहा पाकी
कोना जाके बचवा हमार कवनो झांकी
आके अपना दुख के कहानी जब बांची
हमरा के कुछु नाही दिहली हो चाची
ओने पकवान एने लईकन के रोवाई , ना सहाई विरना
हो तोहरा पुआ पकवान ना घोटाई विरना
हो तोहरा पुआ पकवान ना घोटाई विरना
[ तुम्हारे घर जिस दिन पूड़ी पकवान आदि पकेगा
किसी कोने में जाकर मेरा कोई बच्चा झाँकेगा
फिर जब वो वापस आकर अपना दुख बतायेगा
कि मुझे चाची ने कुछ नहीं दिया|
वो पकवान इन बच्चों को रुलायेंगे, ये सहा न जायेगा प्रिय भाई
तुमसे भी वो पुआ पकवान खाया न जायेगा, गले से नीचे न उतरेगा प्रिय भाई ]

हमरा तोहरा बेटी के बरात जईहा आई
तु देबs स्कुटर हमरा कुछु ना दियाई
बेटी तोहार जईहे जीप चाहे कार से
बेटी हमार पैदल चाहे डोलिया कहार से
एगो आंख हसी एगो आंसु बरसाई , ना सहाई विरना
हो तहिया कईसन लागी बेटी के विदाई विरना
हो तहिया कईसन लागी बेटी के विदाई विरना
[जिस दिन हमारी तुम्हारी बेटियों की बारातें आयेंगी
तुम स्कूटर दोगे और मैं कुछ भी न दे पाऊँगा
तुम्हारी बेटी जीप या कार से जायेगी
मेरी बेटी पैदल या डोली कहार से जायेगी|
एक आँख हँसेगी और एक आँसू बहायेगी, ये सहा न जायेगा प्रिय भाई
उस दिन बेटी की विदाई कैसी लगेगी प्रिय भाई ]

सोच तनी हमरा के का कही जमाना
हसी हसी चुन्नु पाण्डेय मारे लगिहे ताना
चार दिन के संग बा मचावs जनि तबाही
दुनिया हो राग रविन्दर लोग हवन राही
फेरु नाही आई केहु देखे ई कमाई , हउवे काई विरना
हो कईसे माई के अंचरवा बाटल जाई विरना
हो कईसे माई के अंचरवा बाटल जाई विरना
खेत बारी बट जाई
अरे अंगना दुवारवा , पाई पाई विरना
हो कईसे भाई के सनेहिया बाटल जाई विरना
[जरा सोच ये समाज क्या कहेगा हम को
चुन्नू पांडे हँस हँस कर ताना मारेंगे (तंज़ कसेंगे)
चार दिन का साथ है, इतनी तबाही मत मचाओ
दुनिया में राग रंग हैं, रविंदर (यह गायक का नाम है ) आदि लोग भी इसी राह के लोग हैं
फिर कोई ये कमाई देखने नहीं आयेगा, ये सब क्या है (यानि कुछ नहीं है) प्रिय भाई
अरे, माँ का आँचल कैसे बांटोगे मेरे प्रिय भाई| ]

[खेत-बाड़ी बंट जायेगा
अरे आँगन द्वार भी, पाई पाई बंट जायेगा हे प्रिय भाई,
पर भाई का स्नेह कैसे बाँटा जायेगा प्रिय भाई]

2 टिप्‍पणियां:

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

उम्दा, बेहतरीन प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

बेनामी ने कहा…

बहुत उम्दा एवं मर्मस्पर्शी कविता