शनिवार, 17 सितंबर 2011

रामप्रसाद बिस्मिल का अंतिम पत्र

शहीद होने से एक दिन पूर्व रामप्रसाद बिस्मिल ने अपने एक मित्र को निम्न पत्र लिखा -

"19 तारीख को जो कुछ होगा मैं उसके लिए सहर्ष तैयार हूँ।
आत्मा अमर है जो मनुष्य की तरह वस्त्र धारण किया करती है।"

यदि देश के हित मरना पड़े, मुझको सहस्रो बार भी।
तो भी न मैं इस कष्ट को, निज ध्यान में लाऊं कभी।।
हे ईश! भारतवर्ष में, शतवार मेरा जन्म हो।
कारण सदा ही मृत्यु का, देशीय कारक कर्म हो।।

मरते हैं बिस्मिल, रोशन, लाहिड़ी, अशफाक अत्याचार से।
होंगे पैदा सैंकड़ों, उनके रूधिर की धार से।।
उनके प्रबल उद्योग से, उद्धार होगा देश का।
तब नाश होगा सर्वदा, दुख शोक के लव लेश का।।

सब से मेरा नमस्कार कहिए,

तुम्हारा

बिस्मिल"


रामप्रसाद बिस्मिल की शायरी, जो उन्होने कालकोठरी में लिखी और गाई थी,
उसका एकट-एक शब्द आज भी भारतीय जनमानस पर उतना ही असर रखता है जितना
उन दिनो रखता था। बिस्मिल की निम्न शायरी का हर शब्द अमर है:

सरफरोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।
देखना है जोर कितना, बाजुए कातिल में है।।
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां
हम अभी से क्या बताएं, क्या हमारे दिल में है।।

और:

दिन खून के हमारे, यारो न भूल जाना
सूनी पड़ी कबर पे इक गुल खिलाते जाना।

4 टिप्‍पणियां:

दिवस ने कहा…

"सरफरोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है।
देखना है जोर कितना, बाजुए कातिल में है।।
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां
हम अभी से क्या बताएं, क्या हमारे दिल में है।।"

अमर शहीद बिस्मिल जी की ये पंक्तियाँ सदियों तक नहीं भुलाई जा सकेंगी|
बिस्मिल जी का यह पत्र हम तक पहुंचाने के लिए आपका आभार|

अवनीश सिंह ने कहा…

@Er. Divas Dinesh Gaur
मेरे ब्लॉग पर आने के लिये आपका धन्यवाद |
मैं अपनी तरफ से कोशिश करूँगा कि हमारे इतिहास के भूले बिसरे योद्धाओं को याद किया जाये |

Dr Varsha Singh ने कहा…

अमर शहीद बिस्मिल जी को नमन....
एवं आपका आभार|

अंजू शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर और प्रेरक ब्लॉग है आपका.....और बिस्मिल जी के विचारों को हम तक पहुँचाने का शुक्रिया.....मैंने उनकी बहुत बड़ी प्रशंषक हूँ....उम्मीद है आप ऐसे जानकारी परक लेख हम तक पहुंचाते रहेंगे.....साधुवाद .