कौन कहता कि सब किस्मत का खेल है
कभी ख़्वाब देखने की हिमाकत तो करो |
वक्त है सारी दुनिया के लिये तुम्हारे पास
कभी खुद पर भी नजरें इनायत तो करो |
क्या बात है , जो नाउम्मीद हुये बैठे हो
चराग उम्मीदों का , आज रोशन तो करो |
क्या हुआ ग़र आज मुफलिसी का दौर है
खुशहाली भी आएगी, जी-तोड़ के मेहनत तो करो |
ग़र रोक नहीं सकते तुम जाने वाले को
आने वालों का फिर आगे बढ़ स्वागत तो करो |
वक्त सालों में नहीं , लम्हों में गुजरता है
अपने हर लम्हे की कद्र और इज्जत तो करो |
माज़ी में जीना छोड़ दो , हासिल कुछ नहीं होगा
मौजूदा हाल में जीने की , हिम्मत तो करो |
तुम्हारी हर एक साँस पर कर्ज है वतन का
मादरे - वतन से अपने , मुहब्बत तो करो |
कभी ख़्वाब देखने की हिमाकत तो करो |
वक्त है सारी दुनिया के लिये तुम्हारे पास
कभी खुद पर भी नजरें इनायत तो करो |
क्या बात है , जो नाउम्मीद हुये बैठे हो
चराग उम्मीदों का , आज रोशन तो करो |
क्या हुआ ग़र आज मुफलिसी का दौर है
खुशहाली भी आएगी, जी-तोड़ के मेहनत तो करो |
ग़र रोक नहीं सकते तुम जाने वाले को
आने वालों का फिर आगे बढ़ स्वागत तो करो |
वक्त सालों में नहीं , लम्हों में गुजरता है
अपने हर लम्हे की कद्र और इज्जत तो करो |
माज़ी में जीना छोड़ दो , हासिल कुछ नहीं होगा
मौजूदा हाल में जीने की , हिम्मत तो करो |
तुम्हारी हर एक साँस पर कर्ज है वतन का
मादरे - वतन से अपने , मुहब्बत तो करो |