विमर्श
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प्रेमचन्द साहित्य
सोमवार, 4 मार्च 2013
गायब होती पगडंडी
"गायब होती पगडंडी और हावी होती सड़क,
गायब होती हमारी सादगी, हावी होती तड़क भड़क
मिट्टी खिसकती गयी नीचे से आ गयी कंक्रीट
गुम होने को आया है, साथी पथ का गीत "
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