तुम इतने करीब आओगे,
कभी सोचा न था
जब हमने शुरू किया था सफर,
बिलकुल अजनबी की तरह
अनजान राहों पर हम चले
सफर में बातें भी हुईं,
बातों से बढ़ा अपनापन
पर तुम इतने अपने हो जाओगे,
कभी सोचा न था|
ये राहें भी पहेली हैं,
साथ चलने से सुलझ जाती हैं|
मैंने कहा आओ जिंदगियां बदलते हैं,
मेरा जीवन तुम जियो
तुम्हारा जीवन मैं जियूं
मैं जी पाया या नहीं, पता नहीं
पर तुम यूं मुझको जी पाओगे
कभी सोचा न था|
1 टिप्पणी:
बहुत सुन्दर लिखा है आपने..
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